बॉलीवुड में आज के समय में दिखाए जाने वाले इंटीमेट सीन फिल्माना कोई नहीं बात नहीं है। ये सिलसिला फिल्म इंडस्ट्री में पहले से चला आ रहा है।

आप शायद यकीन ना करें लेकिन आपको 1930 और 40 के दशक की चर्चित अभिनेत्री देविका रानी को भारतीय सिनेमा की पहली अभिनेत्री कहा जाता है। जी हां, साल 1933 में प्रसिद्ध निर्माता हिमांशु राय की फिल्म ‘कर्म’ में हिमांशु देविका पहली फिल्म में काम किया।
इस फिल्म में देविका के हीरो हिमांशु राय ही बने। उन्होंने इस दौरान हिमांशु राय के साथ एक किस सीन फिल्माया, जो उस समय का सबसे लंबा किसिंग सीन था। यह किसी भारतीय के हाथों बनी पहली अंग्रेजी बोलने वाली फिल्म थी।
इसमें पहली बार चार मिनट का किसिंग सीन्स दिखाया गया, जिसके बाद देविका की काफी आलोचना हुई और फिल्म को प्रतिबंधित भी कर दिया गया। इसके बाद हिमांशु ने देविका से शादी कर ली और मुंबई आ गए। उनकी दिग्गज फिल्मों में 1936 में आई अछूत कन्या, 1937 में आई जीवन प्रभात और 1939 में आई दुर्गा शामिल है।

उस जमाने में नायक बनी देविका…
जिस दौर में महिलाओं को घर से निकलने नहीं दिया जाता था, देविका फिल्म नायिका बनकर समाज के लिए नायक बन गईं। देविका रानी चौधरी का जन्म आंध्रप्रदेश के वाल्टेयर नगर में हुआ था। उनके पिता कर्नल एमएन चौधरी समृद्ध बंगाली परिवार से थे। जिन्हें बाद में भारत के प्रथम सर्जन जनरल बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

दिलीप कुमार को फिल्म इंडस्ट्री में लाने का श्रेय देविका को ही दिया जाता है। फिल्म इंडस्ट्री में योगदान देने के लिए भारत सरकार ने साल 1969 में जब दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत की तो इसकी सर्वप्रथम विजेता देविका रानी बनीं। देविका फिल्म इंडस्ट्री की प्रथम महिला बनीं, जिन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। 9 मार्च 1994 को देविका रानी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था।